हनुमान जी का बचपन: एक अद्भुत कहानी - hanumantekrijhabua.in

पवनपुत्र श्री हनुमान जी का बचपन भी अन्य बालकों से कुछ अलग और अद्भुत था। उनके जन्म के समय ही कुछ चमत्कारी घटनाएँ घटीं और उनके जीवन का हर पहलू एक अनोखी कथा बन गया। हनुमान जी का बालपन न केवल अद्वितीय था, बल्कि यह उनकी महाशक्ति और परम भक्ति के आरंभ का संकेत भी था। आइए जानते हैं हनुमान जी के बचपन की एक दिलचस्प कहानी।

श्री हनुमान जी का जन्म वायुदेव (पवन देव) और अंजनी देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। एक दिन, अंजनी देवी ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पवन देव से आशीर्वाद मिला, और उन्होंने भगवान शिव के रूप में एक दिव्य पुत्र की प्राप्ति की। इस कारण हनुमान जी को पवनपुत्र भी कहा जाता है। उनके जन्म के समय ही कई अद्भुत घटनाएँ घटित हुईं, जैसे कि आकाश में अनहोनी घटनाओं का घटित होना और वायुदेव द्वारा उन्हें विशेष शक्तियाँ देना।

बाल हनुमान और उनकी शरारतें

हनुमान जी के बचपन के दिन बहुत ही रोमांचक थे। वे असाधारण रूप से शक्तिशाली और चंचल थे। उनका कौतुहल और ऊर्जा कहीं से भी रुकने का नाम नहीं लेती थी। एक दिन, जब हनुमान जी शिशु अवस्था में थे, वह एक बार बहुत भूखे हो गए। उन्होंने देखा कि आकाश में एक सुंदर और आकर्षक वस्तु उड़ रही है। वह वस्तु कुछ और नहीं, बल्कि सूर्य देव थे।

बाल हनुमान को यह लगा कि सूर्य देव शायद कोई बड़ा फल हों, और उन्हें वह फल चाहिए था। उन्होंने बिना किसी डर या संकोच के सूर्य को ही अपना लक्ष्य बना लिया। अपनी अद्भुत शक्ति का उपयोग करते हुए, हनुमान जी ने आकाश में छलांग लगाई और सूर्य देव को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े। यह देखकर देवता हैरान रह गए, लेकिन कोई भी उन्हें रोक नहीं सका।

पृथ्वी के सभी देवता और भगवान इस अद्भुत दृश्य को देखकर बहुत चकित हो गए। श्री इंद्र देवता ने सोचा कि बाल हनुमान को इस तरह से सूर्य को पकड़ते हुए छोड़ना उचित नहीं है, तो उन्होंने अपनी वज्र से हनुमान जी को रोकने का प्रयास किया। लेकिन बाल हनुमान ने उस वज्र को भी ध्वस्त कर दिया। आखिरकार, ब्रह्मा जी ने बाल हनुमान को यह समझाया कि सूर्य देव को पकड़ने की बजाय, उन्हें अपनी शक्तियों का सही उपयोग करना चाहिए। इस प्रकार, सूर्य देव ने हनुमान जी को आशीर्वाद दिया और उनकी ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने की बात कही।

अंजनी देवी का डर

हनुमान जी के इस कृत्य के बाद, उनकी माता अंजनी देवी बहुत चिंतित हो गईं। वह जानती थीं कि उनका पुत्र बेहद शक्तिशाली है, लेकिन उनके बालपन की शरारतें भी चिंता का कारण बन रही थीं। एक दिन अंजनी देवी ने अपनी चिंता को अपने पति पवन देव से साझा किया। पवन देव ने उन्हें आश्वस्त किया कि हनुमान जी का पालन-पोषण बहुत सही ढंग से होगा और वे बहुत महान कार्य करेंगे।

अंजनी देवी को यह समझने में समय लगा कि उनका पुत्र वास्तव में अवतार है, और उसकी शक्ति न केवल उसे, बल्कि पूरे ब्रह्मांड को बचाने के लिए होगी। उन्होंने बाल हनुमान को अच्छे संस्कार और भक्ति का मार्ग दिखाया।

हनुमान जी का शिक्षा प्राप्त करना

हनुमान जी को बचपन में ही बहुत सारी दिव्य शक्तियाँ प्राप्त थीं, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से इन्हें समझने के लिए अपने गुरु, संजीवनी से शिक्षा ली। वह गुरु से बुरी शक्तियों का नाश करने और अच्छे कार्य करने के उपाय सीखते थे। धीरे-धीरे, वह एक महान योद्धा और ज्ञानी बन गए।

निष्कर्ष

बाल हनुमान जी की यह अद्भुत कहानी यह सिखाती है कि हमें अपनी शक्तियों का सही उपयोग करना चाहिए और जीवन में अच्छे कार्यों की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। हनुमान जी की बचपन की शरारतें और उनके अद्वितीय कार्य यह दर्शाते हैं कि, भले ही हम बचपन में चंचल और जिज्ञासु होते हैं, लेकिन समय के साथ हम अपनी शक्तियों का सही उपयोग और उद्देश्य को समझने में सक्षम होते हैं। हनुमान जी की यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि हमें हमेशा अपनी क्षमताओं और शक्तियों का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए

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2 Comments
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